मेरी गूँज (उपन्यास/NOVEL) 'मेरी गूँज' एक ऐसा उपन्यास जिसे पढ़ने वाला लगभग हर व्यक्ति अपनी झलक देख सकता है। For oder fill fill the link below मेरी गूँज (गुंजन राजपूत) Meri goonj written by Gunjan Rajput
पाठ 6 शाम एक किसान व्याख्या आकाश का साफ़ा बाँधकर सूरज की चिलम खींचता बैठा है पहाड़ , घुटनों पर पड़ी है नदी चादर – सी , पास ही दहक रही है पलाश के जंगल की अँगीठी अंधकार दूर पूर्व में सिमटा बैठा है भेड़ों के गल्ले – सा। व्याख्या- " सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी" ने अपनी कविता "शाम – एक किसान” की इन पंक्तियों में शाम होने के समय दिखाई देने वाला प्राकृतिक दृश्य का बहुत ही सुंदर वर्णन किया है। कवि के अनुसार , शाम के समय पहाड़ किसी बैठे हुए किसान की तरह दिख रहा है और आसमान उसके सिर पर रखी किसी पगड़ी की तरह दिख रहा है। पश्चिम दिशा में मौजूद सूरज चिलम पर रखी आग की तरह लग रहा है। पहाड़ के नीचे बह रही नदी , किसान के घुटनों पर रखी किसी चादर के सामान प्रतीत हो रही है। पलाश के पेड़ों पर खिले लाल फूल कवि को अंगीठी में जलते अंगारों की तरह दिख रहे हैं। पूर्व में फैलता अंधेरा सिमटकर बैठी भेड़ों के झुंड की तरह प्रतीत हो रहा है। कवि कहता है कि शाम के इस समय चारों तरफ एक मन को हरने वाली शांति छाई हुई है। अचानक – बोला मोर। जैसे किसी ने आवाज़ दी – ‘ सुनते हो ’। चिलम औंधी धुआँ उठा – सूरज डूबा अंधेरा छ