कक्षा VII हिंदी वसंत से पाठ 9 एक तिनका
कविता व्याख्या
प्रतीक- मैं घमंडों में भरा_________________________________________________बहुत तेरे लिए।
व्याख्या- प्रस्तुत कविता हिंदी के प्रसिद्ध कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरऔध' जी द्वारा लिखी गई है। प्रस्तुत कविता में कवि घमंड न करने की सलाह देते हैं। वे बताते हैं कि एक दिन मैं न जाने किस घमंड में अपने घर की मुँडेर पर खड़ा हुआ था। कि कहीं दूर से अचानक एक तिनका मेरी आँख में आ गिरा। उस तिनके के मेरी आँख में गिरने से आँख लाल हो गई और दर्द होने लगा। उस दर्द से मैं झिझक उठा और बेचैन हो गया। मुझे बेचैन और परेशान होकर लोग कपड़े पर फूँक मार-मारकर आँख को सेकने लगे। और मेरा अब तक का घमंड और मेरी एंठ दबे पाँव दूर हो गई। जब कई प्रयासों के बाद किसी तरह मेरी आँख से वो तिनका निकल गया तब मेरी समझ ने मुझे देख कर ताना दिया कि आख़िर किस घमंड में था मैं? एक छोटे से तिनके ने मेरा घमंड दूर कर दिया।
उत्तर ५
(क) उपर्युक्त काव्यांश के माध्यम से कवि ने यह संदेश दिया है कि अहंकार नहीं करना चाहिए। क्योंकि एक छोटा-सा तिनका भी अगर आँख में पड़ जाए तो मनुष्य को बेचैन कर देता है।
(ख) इन दोनों काव्यांशों की पंक्तियों में अंतर-दोनों काव्यांशों में अंतर यह है कि हरिऔध जी द्वारा लिखी पंक्तियों में किसी प्रकार के अहंकार से दूर रहने की चेतावनी दी गई है, क्योंकि एक तिनका भी हमारे अहंकार को चूर कर | सकता है। छोटे-से छोटे वस्तु का अपना महत्त्व होता है। दोनों में घमंड से बचने की शिक्षा दी गई है। प्रत्येक तुच्छ समझी जाने वाली वस्तु का अपना महत्त्व होता है।
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