परिस्थिति और अवसर
जब कोई समस्या हमें घेर लेती है तो चाहे-अनचाहे हमारी जीवन शैली पर उसके असर देखने को मिलते हैं। और यदि समस्या ऐसी हो जिससे सब त्रस्त हों और उसका कोई हल न मिल रहा हो तो भय के कारण जीवन जीने का और कुछ करने का हौसला टूट ही जाता है। कोविड 19 महामारी उन्हीं समस्याओं में से एक है। जिसने पूरे विश्व का जीवन जीने का ढंग तथा उसे देखने का नज़रिया ही बदल दिया। इसका बहुत बड़ा प्रभाव शिक्षा जगत पर पड़ा। इतने वर्षों से जो पढ़ने-पढ़ाने का ढंग था, विद्यालय जाकर अपने मित्रों के साथ सीखने का जो मज़ा था तथा साथ में खाना खाने का जो आनंद था वो सभी समाप्त हो गया। उस समय यदि तकनीकी सुविधाओं को शिक्षा क्षेत्र में न अपनाया होता तो विद्यार्थियों के भविष्य की तैयारी में एक बड़ी रुकावट आ जाती। विषम परिस्थिति में पढ़ने-पढ़ाने के, सीखने-सिखाने के नए तरीक़ों से परिचय हुआ। ऑनलाइन माध्यम को अपनाकर विद्यार्थी घर बैठे अपने शिक्षकों से पढ़ सके और अभिभावकों की नज़रोंमें रहकर बहुत कुछ सीख सके। इस परिस्थिति में हमें पढ़ने-पढ़ाने, घर से काम करने के साथ ही और भी बहुत कुछ सीखने के अवसर मिले जैसे- हम ज़िंदगी में बहुत सी ऐसी चीजों में उलझ गए हैं जो बिल्कुल महत्त्व नहीं रखतीं हमें उन पर कम ध्यान देना चाहिए, जैसे प्रकृति के साथ हमने बहुत छेड़-छाड़ की है जो कि नहीं होनी चाहिए, जैसे प्राकृतिक संसाधनों को आवश्यकता से अधिक खर्च नहीं करना चाहिए, जैसे हमें अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखना चाहिए, जीव-जंतुओं की हत्या नहीं करनी चाहिए आदि। हमें याद रखना चाहिए कि-
ये जीवन उतार-चढ़ाव का मेला है
डटकर जो आगे बढ़े
उसके संग मेला है
-गुंजन राजपूत
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