हम सभी हैं किताबें
किताबें, ढेरों पन्नों को खुद में संजोए हुए
कुछ खुले पन्ने तो कुछ के बीज मन में बोए हुए
हम हैं किताबें मगर पाठक भी हैं
हममें हैं ढेरों किस्से, भिन्न लिखावट भी है
कुछ पन्नों पर गहरी स्याही से लिखे हैं
हमारे गम, हमारे डर, हमारी खामोशी की वजह
कुछ पर स्याही उड़ने लगी है
लेकर हमारी मुस्कुराहट और सुहानी सुबह
कुछ खाली पन्ने लिए हम सभी इंतज़ार में हैं
हमें पढ़कर समझ सके कोई उसके इश्तेहार में हैं
कोई लेकर अपनी स्याही में खुशियों के रंग
बिखेर दे कुछ पन्नों पर अपने पन्नों के संग
हम सभी हैं किताबें
हमें खुद को पढ़ना है,
हर पन्ने पर अपनी मर्ज़ी का हर्फ़ लिखना है
हम सभी हैं किताबें
ये याद रखना है
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