धरती का बचाव
धरती में भरा हुआ है रत्नों का खजाना
हमारा दायित्व है इस धरती को बचाना।I
फूल और पत्तों में कहीं सुगंध
तो कहीं औषधि मिलती है।
चोट लगने पर लेप मलने से
चेहरे पर मुस्कुराहट खिलती है।
सुंदर फूलों से हमें जीवन को है महकाना
हमारा दायित्व है इस धरती को बचाना।
नदियों की कलकल, झरनों की झर-झर
हमें मधुर ध्वनि सुनाते हैं।
सुबह-सवेरे पंछी आकर
यहाँ झीलों का पानी पी जाते हैं।
सींच-सींच कर किसान देखता है
धरती पर फसलों का लहलहाना
हमारा दायित्व है इस धरती को बचाना।
जाने कितने अपशिष्टों को धरती खुद में समाती है
गर्भ में बीज तपाकर सोने की किंकणियाँ लुटाती है
पर्यावरण हो सुरक्षित तो वर्षा समय पर आती-जाती है
कहीं न सूखा, कहीं न बाढ़, प्रकृति सब समय पर लाती है
स्वराष्ट्र के साथ-साथ पूरा विश्व हमें है हरा बनाना
हमारा दायित्व है इस धरती को बचाना।
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