कई बार ऐसा होता है जब हमें लगता है कि हम किसी समस्या में फँस गए हैं और हमें किसी की मदद चाहिए इस समस्या से बाहर निकलने के लिए। ये दूसरों से मदद माँगने की आदत, दूसरों से सलाह लेने की आदत कई बार हमारे अंदर इतनी लग जाती है कि हमें कोई वजह की भी आवश्यकता नहीं रह जाती किसी की सलाह लेने के लिए। हम फ़ालतू में, बिना किसी कारण के दूसरों से सलाह लेने लगते हैं। कई बार हम अपने हर कार्य को करने से पहले अपने आसपास के लोगों को ऐसे देखते हैं जैसे हमें उनसे उनकी अनुमति चाहिए अपने लिए कुछ करने के लिए। कई बार हमें खुद के लिए कुछ करने के लिए, चार लोगों के बीच खुद को खुश महसूस करने में ऐसा लगने लगता है जैसे हम कुछ गलत कर रहे हैं।
मज़े की बात तो ये है कि हम जिन्हें इतना, महत्त्व दे रहे होते हैं उन्हें इस बात का कोई आभास ही नहीं होता। वो इसे अपना गुण समझते हैं और अपने मूड के हिसाब से हमारे साथ बर्ताव करते हैं।
इस बात का एक बहुत ही आम सा उदाहरण ये भी है कि यदि हमें कहीं भी ऐसा कुछ पता चल जाए जैसे कि कोई इंसान है जो हमारे बारे में हमें बताएगा या कोई इंटरनेट पर वेबसाइट जो हमें हमारे बारे में बताती है; हम वहाँ उसके प्रति बहुत ही आकर्षित हो जाते हैं।
हर समस्या का समाधान हम अक्सर दूसरों से माँगते हैं इसका एक छोटा सा उपाय है कि हम अपने ईगो से काम लें। इंसान को कहीं न कहीं खुद को होशियार दिखाना बहुत पसंद होता है और इस आदत के चलते कई बार ऐसा होता है जब हमने किसी समस्या के बारे में सोचा भी नहीं होता उस समय अचानक से यदि कोई हमसे अपनी उस समस्या का हल माँगने तो हमारा दिमाग़ एक अलग तरह से काम करता है और हम तुरंत उसे कोई न कोई रास्ता या उपाय बता देते हैं।
ऐसा सिर्फ़ इसलिए हो पता है क्योंकि हमारे दिमाग़ को या हमें दूसरों को राय देने में अपनी जिस ज़िम्मेदारी का अहसास होता है उस ज़िम्मेदारी का अहसास हमें खुद की समस्याओं को सुलझाने में कई बार नहीं होता।
जब भी हमें किसी समस्या का समाधान चाहिए हो तो उस समय सबसे पहले उस समस्या को खुद को बोलो। मन में मत सोचो, जोर से बोलो और महसूस करो कि ये समस्या किसी और की है तो आप उसे क्या समाधान दोगे। आप देखेंगे कि आप समस्या के समाधान ढूँढने में ज़्यादा सक्रिय हो जाएँगे।
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