पाठ 8 रहीम के दोहे
कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।
बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत।।
भावार्थ- प्रस्तुत दोहे में रहीम जी कहते हैं कि जब इंसान के पास संपत्ति होती है तब उसके बहुत सारे मित्र और नाते-रिश्तेदार बनते हैं। किंतु सच्चे मित्र और सच्चे अपनों की पहचान तो तब होती है जब विपत्ति आती है। विपत्ति के समय को साथ देते हैं वे ही सच्चे मित्र तथा सच्चे अपने होते हैं।
जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छाँड़ति छोह॥
भावार्थ- प्रस्तुत दोहे में रहीम जी मछली और जल के प्रेम के विषय में बताते हैं। वे कहते हैं कि जब पानी में जाल डाला जाता है तो कष्ट देख कर जल मछली का मोह छोड़कर जाल से बाहर निकल जाता है किंतु मछली जल से बिछड़ना सहन नहीं कर पाती और जल से बिछड़ते ही मर जाती हैं। तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान।
कहि रहीम परकाज हित, संपति-संचहि सुजान॥
भावार्थ- प्रस्तुत दोहे में रहीम जी परोपकार के महत्त्व को बताते हुए कहते हैं कि पेड़ अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं तथा सरोवर (नदियाँ, तालाब) अपना जल स्वयं नहीं पीती हैं। वैसे ही सज्जन लोग होते हैं वे अपनी संपत्ति का उपयोग दूसरों के लिए करते हैं तथा दूसरों के लिए संपत्ति को सहेजते हैं।
थोथे बादर क्वार के, ज्यों रहीम घहरात।
धनी पुरुष निर्धन भए, करें पाछिली बात॥
भावार्थ- प्रस्तुत दोहे में रहीम जी क्वार मास का वर्णन करते हुए कहते हैं कि जो क्वार के महीने में बादल होते हैं वे खाली होते हैं। वे गरजते रहते हैं लेकिन कभी बरसते नहीं हैं। वैसे ही धनी पुरुष होते हैं जो जब निर्धन हो जाते हैं तब भी अपने पिछले समय की बात करके घमंड करते रहते हैं। अपनी वास्तविक स्थिति को नहीं देखते हैं।
धरती की-सी रीत है, सीत घाम औ मेह।
जैसी परे सो सहि रहे, त्यों रहीम यह देह॥
भावार्थ- प्रस्तुत दोहे में रहीम जी कहते हैं कि इंसान की प्रवृत्ति (स्थिति) धरती के समान होनी चाहिए। जैसे धरती विभिन्न परिस्थितियों (सर्दी/गर्मी/बारिश) को सहन कर लेती है। वैसे ही इंसान को भी विपरीत परिस्थितियों (सुख-दुःख) को झेलना आना चाहिए।
अभ्यास प्रश्न
दोहे से-
१- पाठ में दिए गए दोहों की कोई पंक्ति कथन है और कोई कथन को प्रमाणित करनेवाला उदाहरण। इन दोनों प्रकार की पंक्तियों को पहचान कर अलग-अलग लिखिए।
उत्तर-
उदाहरण वाले दोहे-
(i) तरूवर फल नहिं खात है..............
(ii) थोथे बादल क्वार के.................
(iii) धरती की सी रीत है...............
कथन वाले दोहे-
(i) जाल परे जल जात बहि...........
(ii) कहि रहीम सम्पत्ति सगे........
२- रहीम ने क्वार के मास में गरजनेवाले बादलों की तुलना ऐसे निर्धन व्यक्तियों से क्यों की है जो पहले कभी धनी थे और बीती बातों को बताकर दूसरों को प्रभावित करना चाहते हैं? दोहे के आधार पर आप सावन के बरसने और गरजनेवाले बादलों के विषय में क्या कहना चाहेंगे?
उत्तर- सावन में गरजने और बरसने वाले बादलों के विषय में हम यही कहना चाहेंगे कि जो बादल खाली होते हैं वे सिर्फ गरजते हैं कभी बरसते नहीं हैं। बरसने वाले बादल इतना शोर नहीं मचाते। वैसे ही जो निर्धन लोग होते हैं जो पहले कभी धनी हुआ करते थे वे अपनी वास्तविक स्थिति को स्वीकार नहीं पाते और खाली गरजने वाले बादलों की तरह अपने पहले के समय को याद कर-करके घमंड भरी बातें करते रहते हैं।
दोहों से आगे-
1. नीचे दिए गए दोहों में बताई गई सच्चाइयों को यदि हम अपने जीवन में उतार लें तो उनके क्या लाभ होंगे? सोचिए और लिखिए -
क) तरुवर फल...................सचहिं सुजान।।
उत्तर- (क) यदि हम इस दोहे को जीवन में उतार लें तो हमारे अंदर परोपकार की भावना बढ़ जाएगी तथा हम लोगों की अधिक से अधिक मदद करने लगेंगे। क) तरुवर फल...................सचहिं सुजान।।
ख) धरती की-सी...................यह देह।।
उत्तर- (ख) यदि हम इस दोहे को जीवन में उतार लें तो हम विपरीत परिस्थ्तियों में धैर्य से काम लेना प्रारंभ कर देंगे। विपरीत परिस्थिति में रहना हमें आसान लगने लगेगा।
भाषा की बात
१- निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित हिन्दी रूप लिखिए -
जैसे - परे-पड़े (रे, ड़े)
जैसे - परे-पड़े (रे, ड़े)
उत्तर-
बिपति- विपत्ति
मछरी- मछली बादर- बादल
सीत- शीत
२- . नीचे दिए उदाहरण पढ़िए -
क) बनत बहुत बहु रीत।
ख) जाल परे जल जात बहि।
उपर्युक्त उदाहरणों की पहली पंक्ति में 'ब' का प्रयोग कई बार किया गया है और दूसरी में 'ज' का प्रयोग। इस प्रकार बार- बार एक ध्वनि के आने से भाषा की सुंदरता बढ़ जाती है।
वाक्य रचना की इस विशेषता के अन्य उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर-
(i) संपत्ति संचहि सुजान।
रघुपति राघव राजा राम।(ii) काली लहर कल्पना काली, काल कोठरी काली।
चारू चंद्र की चंचल किरणें।
चारू चंद्र की चंचल किरणें।
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