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A Environment Progarm for ALL INDIA RADIO

 ALL INDIA RADIO (पर्यावरण) 


 

दो लोगों की बातचीत 

वर्षा 

नमस्कार दोस्तों! आप सभी का स्वागत है हमारे कार्यक्रम में। 

ये सावन का मौसम और नहाई हुई प्रकृति को देखते हुए मन प्रसन्न हो रहा है। ऐसे में पर्यावरण से अच्छा और कोई विषय हो ही नहीं सकता बात करने के लिए। तुम्हें क्या लगता है समर?  

समर 

बिलकुल सही कहा तुमने वर्षासावन के मौसम में पर्यावरण की तरफ़ खुद ही ध्यान जाता हैचलो फिर अपना कार्यक्रम शुरू करते हैं- 

वर्षा 

हाँ-हाँ चलोतो क्योंकार्यक्रम की शुरुआत एक कविता से की जाए? 

समर 

हाँ-हाँ क्यों नहींतो स्वागत करते हैं कक्षा 6 के मन का जो हमें एक बहुत ही सुंदर कविता सुनाने वाले हैं।  

मनन 

नमस्ते सभी श्रोतागणों को 

मैं आपको सुनाने वाला हूँ अपनी अध्यापिका गुंजन राजपूत द्वारा लिखी कविता जिसका शीर्षक है-   

ये प्रकृति   

 

जन्म से ले मृत्यु तलक हमें गोद में खिलाती है 
माँ-पिता-गुरू-ईश से मिल ये प्रकृति कहलाती है 
कभी दुलार, कभी दहाड़, कभी सीख ये सिखाती है 
माँ-पिता-गुरू-ईश से मिल ये प्रकृति कहलाती है 
 
जीव-प्रकृति अनादि हैं अनन्त है 
गुरूर कर इस बात पर कहाँ ये इतराती है 
मनु-पशु-विहग की माँगें पूर्ण करती 
ये प्रकृति पिता का किरदार निभाती है 
 

कभी झुलसते तन को देख 

शीतल बौछारें बन गिर जाती है 
कभी ठिठुरते प्राणी को देख 
सुनहरी धूप सी झिलमिलाती है 
कभी फल-पुष्प से लदी 
वनस्पतियाँ ये खिलाती है 
कभी लता का भार कम करने को 
पतझड़ बन सब सूखा कर जाती है 
समय-समय पर अपने बच्चों को देख 
फिक्रमंद सी माँ बन जाती है 

माँ-पिता-गुरु-ईश से मिल ये प्रकृति कहलाती है 

वर्षा-समर  

अरे वाह!  

वर्षा  

प्रकृति की इतनी सुंदर परिभाषा इससे पहले कभी नहीं सुनी। 

समर  

अब अन्य प्रस्तुतियों के लिए मैं उत्सुक हो रहा हूँ।  

वर्षा  

तो देर किस बात की। अब अगली प्रस्तुति है एक शास्त्रीय संगीत की जो कि राग देस में हैं।    

समर  

राग देस०००० अरे वाह तो सावन को याद करते हुए सुनते हैं अपनी नन्हे-नन्हे कलाकारों को- 

राग देस song 

वर्षा- 

वाक़ई बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति रही- 

समर  

तो अब आगे क्या सुन चाहोगी वर्षा- 

वर्षा  

चलो क्यूँ न फिर एक कविता सुनी जाए  

समर  

हाँ-हाँ क्यों नहीं  

वर्षा  

तो बुलाते हैं अगली कविता के लिए सागर को  

सागर  

नमस्कार सभी रसिकों को  

मैं आपको अपनी अध्यापिका गुंजन राजपूत द्वारा लिखी कविता कदम बढ़ाया जाए सुनाने वाला हूँ- 

  

देख दुर्गति पर्यावरण की  

बेमौसम कई बार रोती है प्रकृति  

अब प्रकृति माँ को और न सताया जाए  

अभी समय है कदम बढ़ाया जाए  

  

ये नालों से आती दुर्गंध  

ये नदियों में पानी से अधिक अपविष्ट जल  

ये कारख़ानों के धुएँ से बदतर होता जीवन  

इस बेतमीज़ी पर इस बेसलूकी पर  

अब रोक लगाया जाए  

अभी समय है कदम बढ़ाया जाए  

  

सावन आता है  

कुछ धूल धो जाता है  

प्रकृति को नहलाकर 

फिर नया रुख़ दे जाता है  

इस साफ़-सफ़ाई के दौर को  

आगे भी चलाया जाए  

अभी समय है कदम बढ़ाया जाए 

  

हमने भी कुछ प्रयास किए हैं  

प्लास्टिक प्रयोग कम किए हैं  

नन्हे-नन्हे पौधों लगा  

तितलियों के पंखों को रंग दिए हैं  

ऐसे प्रयासों पर थोड़ा और  

ध्यान लगाया जाए  

अभी समय है कदम बढ़ाया जाए 

समर  

कदम बढ़ाया जाए  

कदम बढ़ाया जाए  

वर्षा  

लगता है तुम्हें काफी अच्छी लगी कविता।  

समर  

हाँ बहुत ही उत्साह बढ़ाने वाली कविता है। मुझे लगता है हमें अपने सभी श्रोताओं को पर्यावरण संरक्षण की गंभीरता समझाने के लिए प्रथम को बुलाना चाहिए- 

वर्षा  

तो सुनते हैं पर्यावरण संरक्षण के ऊपर प्रथम के विचार  

 

प्रथम  

नमस्कार सभी श्रोतागणों को   

आज मैं आप सभी के सामने एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर अपने विचार रखने आया हूँ, जिसका नाम है "पर्यावरण संरक्षण" 

हम सभी जानते हैं कि हमारे पर्यावरण में पिछले कुछ दशकों में भारी बदलाव आए हैं। जंगलों की अंधाधुंध कटाई, प्रदूषण का बढ़ता स्तर, जल स्रोतों का दूषित होना, और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन- ये सभी पर्यावरण संकट के मुख्य कारण हैं।  

   

आज हम जिस तकनीकी युग में जी रहे हैं, उसमें प्रगति की दौड़ में हमने अपने पर्यावरण का ह्रास कर दिया है। यह भूल गए हैं कि यदि हमारे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ गया, तो हमारी प्रगति भी हमारे किसी काम की नहीं रहेगी।  

   

पर्यावरण संरक्षण के बिना हम अपने आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अंधकारमय भविष्य छोड़ जाएंगे। इसका सीधा संबंध हमारे स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति, और सामाजिक स्थिरता से है। जब पर्यावरण संतुलित होगा, तो जीवन भी संतुलित और सुखदायक होगा।  

   

अब सवाल उठता है कि हम पर्यावरण संरक्षण के लिए क्या कर सकते हैं 

हम सभी कहीं न कहीं ये जानते हैं कि पर्यावरण के लिए क्या सही है अथवा क्या नहीं? मैं फिर से पर्यावरण संरक्षण के लिए आसान उपायों को बता रहा हूँ।  

  

वृक्षारोपण- अधिक से अधिक पेड़ लगाकर हम अपने पर्यावरण को शुद्ध बना सकते हैं। पेड़ न केवल हमें ऑक्सीजन देते हैं, बल्कि धरती के तापमान को नियंत्रित करने में भी सहायक होते हैं।  

पानी की बचत- पानी का सही उपयोग करें और इसे व्यर्थ न जाने दें। जल संरक्षण आज की सबसे बड़ी जरूरत है।  

  

प्रदूषण नियंत्रण- वाहनों का कम उपयोग करें, सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें और कारपूलिंग को बढ़ावा दें। कार्बन फुटप्रिंट कम करने के लिए हमें वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ना चाहिए।  

  

प्लास्टिक का कम उपयोग- प्लास्टिक हमारे पर्यावरण के लिए हानिकारक है। इसके बजाय, हमें पुन: प्रयोग में आने वाले पदार्थों का उपयोग करना चाहिए। 

  

स्वच्छता बनाए रखना- अपने आसपास के पर्यावरण को स्वच्छ रखना हमारी ज़िम्मेदारी है। कचरा इधर-उधर फेंकने से बचें और इसे सही तरीके से निपटाएँ। 

  

साथियों, पर्यावरण संरक्षण सिर्फ सरकार या कुछ संगठनों की जिम्मेदारी नहीं है। यह हम सभी की जिम्मेदारी है। अगर हम आज से ही छोटे-छोटे कदम उठाना शुरू करें, तो हम एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं। हम अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं जैसे हम बच्चों ने वृक्षारोपण किए हैं, विद्यालय परिसर से हमने प्लास्टिक प्रयोग कम करने की शुरुआत की है, पानी की बचत पर भी हम अपना पूरा ध्यान देने की कोशिश कर रहे हैं।  

  

अंत में, मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि पर्यावरण के प्रति अपने कर्तव्यों को समझें और इसे संरक्षित करने के लिए अपने स्तर पर हर संभव प्रयास करें। हमारी धरती और हमारे भविष्य के लिए यह अत्यंत आवश्यक है।  

   

धन्यवाद! 

समर  

सच हमें अपने पर्यावरण के लिए गंभीर होकर सोचना चाहिए। और आगे प्रयास करने चाहिए।  

वर्षा  

सच में। हमें हमारे पूरे समाज के लिए, देश हित के लिए बहुत ही आवश्यक है कि हम पर्यावरण संरक्षण के विषय में सोचें।  

समर  

इसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए सुनते हैं- एक देशभक्ति गीत  

देशभक्ति गीत  

 


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